
आज हम आपके लिए लेकर आये हैं बहुत ही सरल और संक्षिप्त शब्दों में जल ही जीवन है पर निबंध (Jal Hi Jeevan Hai Par NIbandh) जिसका इस्तेमाल कक्षा 1 से लेकर 12 तक के छात्र कर सकते हैं।
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प्रस्तावना
जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार जीवन की पहली उत्पत्ति जल अर्थात पानी में ही हुई थी। जल के भंडार अर्थात् सागर में ही प्रकृति ने जीवन का रोपण किया, और वहीं से ही धरा मंडल पर जीवन का विस्तार हुआ। जिस प्रकार प्राणवायु अर्थात् हवा के बिना हम जीवित नहीं रह सकते उसी प्रकार जल के बिना भी हम जीवित नहीं रह सकते। सभी वनस्पतियों जीव जंतुओं के लिए जल एक परम तत्त्व है। यह हम सभी से छुपा नहीं है, कि जल हमारे दैनिक जीवन में भी कितना महत्व रखता है। हम सभी अपने दैनिक क्रियाकलापों के लिए जल पर ही निर्भर हैं। इस लिए ही तो कहा गया है – जल ही जीवन है।
जल का हमारे जीवन में महत्व
हमारे दैनिक जीवन में जल प्रकृति का एक वरदान है। स्वयं हमारे शरीर का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से ही बना है। पानी को पीने के अलावा हमारे दैनिक क्रियाकलापों जैसे खाना पकाना, कपड़े धोना, स्नान करना, पौधों की सिंचाई आदि कार्यों में जल अर्थात् पानी का उपयोग किया जाता है। जल का महत्त्व औधोगिक क्षेत्रों में भी है। हमारे घरों में आने वाली विद्युत के उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा पानी से ही बनाया जाता है। उपरोक्त तथ्यों से हम देख सकते हैं कि पानी का हमारे जीवन में कितना महत्त्व है और हम कह सकते हैं कि हमारे जीवन यापन के लिए, पानी सबसे महत्वपूर्ण पदार्थों में से एक है।
जल संरक्षण की आवश्यकता
पृथ्वी पर लगभग 75 प्रतिशत पानी ही है, परंतु इस पानी का 3 प्रतिशत भाग ही पीने योग्य है। इसमें से भी 2 प्रतिशत पानी ग्लेशियर के रूप में मौजूद है। इस प्रकार सही अर्थों में हमारे लिए केवल 1 प्रतिशत पानी ही पीने के लिए मौजूद है। अतः इससे यह स्पष्ट होता है कि पानी की मात्रा बहुत सीमित और कम है। उपयोगी जल बेकार न हो इसके लिए हमें जल संरक्षण की आवश्यकता होती है। जल संरक्षण के लिए वैज्ञानिकों ने अनेक प्रकार की विधियों को अपनाने पर बल दिया है, जैसे वर्षा के जल को संग्रहित करने के लिए छत को इस प्रकार बनाया जाता है, ताकि वह वर्षा जल को एकत्र कर सके। इसके पश्चात नल पाइपों द्वारा उसे पानी को साफ करने वाली जगह पर पहुंचा दिया जाता है और इस प्रकार वर्षा जल का संरक्षण किया जाता है। भूमि से उतने ही जल का दोहन करना चाहिए जितना की आवश्यक हो। नलों से भी अनावश्यक जल के बहाव पर अंकुश लगाना चाहिए।
जल संकट: कारण और समाधान
एक क्षेत्र के अंदर उपलब्ध जल संसाधनों द्वारा जल उपयोग की आपूर्ति में कमी को ही जल संकट कहते हैं। विश्व में रहने वाले लगभग 2.8 बिलियन लोग हर साल जल की कमी से प्रभावित होते हैं। लगभग 1.2 बिलियन लोगों के पास पीने को स्वच्छ जल की सुविधा भी उपलब्ध नहीं होती है।
जल संकट के कारण
वैज्ञानिक उपलब्धियों ने जल की उपलब्धता व स्वच्छता पर ग्रहण लगा दिया है। जल निकालने वाले यंत्रों से भूगर्भ में छिपे जल का दोहन भी प्रारंभ हो गया है जिस कारण भूमि के जल स्तर में कमी आयी है। शहरी क्षेत्रों में जल के पुर्नप्रयोग के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए जाते और इसे सीधे नदियों में छोड़ दिया जाता है। लोगों के बीच जल संरक्षण को लेकर कम जागरूकता भी जल की कमी के कारण हैं।
जल संरक्षण के उपाय
वर्तमान समय में कृषि उत्पादों की बढ़ती मांग की पूर्ति के लिए जल का अधिक उपयोग कृषि कार्यों में हो जाता है। इसके लिए कम पानी वाली फसलों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। वर्षा के जल को संग्रहित करने हेतु टैंकों, तालाबों और चेक डैम की व्यवस्था की जानी चाहिए। झील, नदियों, समुद्रों जैसे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह जीवों की विविधता के घर हैं, इन जीवों को विलुप्त होने से बचाने के लिए इन प्राकृतिक स्रोतों का संरक्षण आवश्यक है।
निष्कर्ष
जल हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं। हमारे जीवन में जल एक महत्वपूर्ण तत्व होने के बावजूद लोग इसके महत्व को नहीं समझते। आज पृथ्वी के कई हिस्सों पर लोगों को पीने के पानी के लिए मीलों दूर जाना पड़ता है। कई जगहों पर लोगों तथा वहां रहने वाले जीवों की पानी की कमी से मौत तक हो जाती है। यदि हम जल को अनावश्यक रूप से बहाते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब जल से भरपूर वाले स्थानों को भी जल की कमी से प्रभावित होना पड़ेगा इसलिए हमें चाहिए कि जल संरक्षण हेतु हम सभी जागरूक बनें और जल के एक एक बूंद की कीमत को समझें क्योंकि जल है तो जीवन है।
आशा करते हैं की हमारे द्वारा लिखा गया यह जल ही जीवन है पर निबंध (Jal hi jeevan hai par nibandh) आपको पसंद आया होगा। और भी ऐसे ही अन्य विषयों पर निबंध पढ़ने के लिए हमारी Myhindiessay.com वेबसाइट पर बने रहें।
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