
Essay on Science : Blessing or Curse in Hindi! – आज हम लेकर आये हैं विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध हिंदी में। जिससे आपको विज्ञान के बारे के कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होंगी और ये सभी कक्षा के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी साबित होगा।
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प्रस्तावना
आज हम चारों तरफ़ जिधर भी देखें, हमें विज्ञान के आविष्कार ज़रूर दिखाई पड़ते हैं। एक छोटी सूई से लेकर आकाश में उड़ते विमान सभी विज्ञान के ही देन हैं। परंतु मानव जीवन को सुविधा पूर्ण बनाने में, विज्ञान का जितना योगदान है, उतना ही दूसरी ओर मानव जीवन को संकट में खड़ा करने का भी जिम्मेदार, विज्ञान से हुए आविष्कार ही हैं। अपनी रक्षा के लिए मानव ने कितने विध्वंस कारी आविष्कार बना दिए जो मानव जीवन के साथ संपूर्ण सृष्टि के लिए खतरा बन गए हैं।
विज्ञान एक वरदान के रूप में
आधुनिक विज्ञान ने मानव के लिए अनेक सुख सुविधा के लिए साधन जुटा दिए हैं। विज्ञान के कारण ही आज मानव हर वो काम करते हैं जो हमारे पौराणिक कथाओं तथा काल्पनिक कथाओं में उल्लेखित है, चाहे वो घर पर बैठे पूरी दुनिया का भ्रमण करना हो या अधिक से अधिक दूरी को कुछ ही समय में तय करना हो। चाहे वो परिवहन का क्षेत्र हो, संचार का क्षेत्र हो, चिकित्सा का क्षेत्र हो या उद्योगों का क्षेत्र हो, कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जिससे आज विज्ञान अछूता हो। इस रूप में तो विज्ञान मानव समाज के लिए वरदान ही साबित हुआ है। विज्ञान ने मानवता को हर वो चीज दे दी है जिसे मानव समाज को जरूरत थी। इसी रूप में कहा जाता है की आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, और विज्ञान है उसका मार्ग।
विज्ञान एक अभिशाप के रूप में
विज्ञान ने मनुष्य को अपार शक्ति दे दी है, परंतु उसके प्रयोग पर कोई बंधन नहीं लगाया। हथियार जुटाने की होड़ में स्वार्थी मनुष्य ने विज्ञान का उपयोग विनाशकारी कार्यों के लिए भी किया है। सुविधायें देने वाले उपकरणों ने मनुष्य को आलसी बना दिया है। आधुनिक यंत्रों के अधिक उपयोग ने लोगों को बेरोजगारी की समस्या पर लाकर खड़ा कर दिया है। परमाणु ऊर्जा को अस्त्रों के रूप में प्रयोग करने से मानव को विध्वंसकारी बना दिया है। जापान के हीरोशीमा, नागासाकी शहरों का विनाश, तथा चर्नोबिल जैसी घटना विज्ञान की ही देन है। आज हथियारों से सुसज्जित होने की दौड़ ने मानव में विश्वबन्धुत्व की भावना लुप्त हो गई है। नाभिकीय ऊर्जा को हथियारों के रूप में प्रयोग करना निःसंदेह विश्व शांति के लिए खतरा है। इसके एक गलत प्रयोग से किसी भी क्षण मानव जाति का संपूर्ण विनाश संभव है।
विज्ञान: वरदान या अभिशाप?
हम सभी के लिए विज्ञान कल्याणकारी भी है और दूसरी ओर विनाशकरी भी, किंतु विनाश के लिए केवल विज्ञान को ही उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। यह तो केवल शक्ति है, जिसका उपयोग मानव समाज के ऊपर निर्भर करता है। विज्ञान का उपयोग अच्छे और बुरे दोनों कार्यों के लिए किया जा सकता है। इस शक्ति के उपयोग से खुद की रक्षा भी की जा सकती है और मूर्खतापूर्वक खुद का विनाश भी किया जा सकता है। यदि मनुष्य विज्ञान का उपयोग मानव समाज के कल्याण के लिए करे तब विज्ञान वरदान साबित होता है, परंतु इसी विज्ञान का उपयोग यदि मानव विनाशकरी कार्यों में करे तब यह एक अभिशाप सिद्ध होगा।
उपसंहार
विज्ञान का वास्तविक लक्ष्य है मानव जाति सहित सभी जीवों का कल्याण। हम सभी की ये जिम्मेदारी है, कि हमारे द्वारा इसका उपयोग रचनात्मक कार्यों के लिए ही किया जाना चाहिए। हालांकि विज्ञान के दुरुपयोग से बचने के लिए विश्व स्तर पर कई संगठन बनाए गए हैं, परंतु सिर्फ इन संगठनों के निर्माण से विज्ञान के दुरुपयोगों से नहीं बचा जा सकता है। इसके लिए इन संगठनों का उपयोग में आना आवश्यक है। यदि इन सभी प्रयासों से विज्ञान के दुरुपयोग पर रोक नहीं लगती तो विज्ञान के इस भयावह रूप को त्याग देना ही उचित होगा।
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