
महात्मा गांधी पर निबंध (Essay On Mahatma Gandhi): आज हम लेकर आये हैं अहिंसा के पुजारी ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी पर निबंध। इस निबंध में आपको गाँधी जी का जीवन परिचय तथा उनके द्वारा किये गए महान कार्यों के विषय में जानकारियां प्राप्त होंगी।
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प्रस्तावना
महात्मा गांधी (मोहनदास करमचंद गाँधी) का नाम हमारे देश में कौन नही जानता। आज हम जिस आजाद भारत में सांस ले पा रहे हैं ये इन्हीं महात्मा के प्रयासों से संभव हो पाया। इन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को आजाद कराने में समर्पित कर दिया। महात्मा गांधी का भारतीय स्वतंत्रता में एक बड़ा और सकारात्मक सहयोग था। वह एक महान नेता और समाज सुधारक भी थे। इन्होंने संपूर्ण भारत को अहिंसा और शान्ति का पाठ पढ़ाया। महान कवि रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि दी।
गांधी जी का पूरा नाम तथा जीवन परिचय
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर नामक जगह पर हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था, तथा इनकी माता का नाम पुतली बाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था। गांधी जी के पिता राजकोट में दीवान थे और माता जी ग्रहणी थी तथा धार्मिक विचारों को भी मानने वालीं थीं। महात्मा गांधी जी का कहना था कि उनके ऐसे सरल स्वभाव और अहिंसा के मार्ग को पकड़ कर चलने की कला उनके माता जी के द्वारा दिए गए अच्छे ज्ञान का ही नतीजा है। गांधी जी की माता का उनके जीवन में बहुत महत्व रहा है। इनसे बड़े इनके दो भाई और एक बहन भी थीं। बचपन में गांधी जी सभी आम बच्चों जैसे ही थे। एक किताब में उन्होंने लिखा था की उन्हें बचपन में सिगार पीने की भी आदत थी, परंतु समझदारी आने के साथ-साथ उनकी ये गलत आदत भी छूट गई।
गांधी जी की शिक्षा तथा दक्षिण अफ्रीका की घटना
महात्मा गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर में ही हुई। स्कूली शिक्षा में गांधी जी का स्तर सामान्य से भी नीचे था। खास कर उन्हें गणित में बहुत कठिनाई होती थी। प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने के बाद उनकी माध्यमिक शिक्षा राजकोट के एक विद्यालय में पूरी हुई। अपनी माध्यमिक शिक्षा पूर्ण होने के बाद वे वकालत की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। 1981 में गांधी जी ने अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी की और फिर एक केस के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा, उन्होंने देखा कि यहां के गोरे लोग काले लोगों पे जुल्म ढ़ा रहे हैं और यहां नस्ल भेद भी है । उनकी स्थिति किसी जानवर से भी बदतर थी। ये सब देख कर गांधी जी ने वहां के गोरों के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने की सोची। महात्मा गांधी ने अफ्रीका में भारतीय नस्ल के लोगों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ बहुत लम्बी लड़ाई लड़ी। यहीं से सबसे पहले सविनय अवाज्ञ आंदोलन की शुरुआत हुई और यही कारण है कि गांधी जी को जितना सम्मान भारत में मिलता है, उतना ही सम्मान दक्षिण अफ्रीका में भी मिलता है।
महात्मा गांधी की भारत वापसी
गोपाल कृष्ण गोखले के अनुरोध पर 1915 में गांधी जी वापस भारत लौटे। जिसके बाद उन्होंने भारतीयों को इकट्ठा कर अहिंसक आंदोलन छेड़ दिया। यहां पर उन्होंने सत्याग्रह, सविनय-अवाज्ञ तथा भारत छोड़ो जैसे आंदोलन चलाए और ऐसे अहिंसक आंदोलनों से धीरे-धीरे अधिक संख्या में लोग जुड़ते चले गए। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में गांधी जी के योगदान को शब्दों में नहीं मापा जा सकता है।
चंपारण सत्याग्रह
बिहार में स्थित चंपारण जिले में इस आंदोलन की शुरुआत 1917 में हुई थी जिसे चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना है, यह भारत में चला पहल नागरिक आंदोलन था। यह आंदोलन मुख्य रूप से नील की खेती कर रहे किसानों पे हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध था। यह आंदोलन अंग्रेजों के द्वारा हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध पहली जीत थी।
असहयोग आन्दोलन
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी समझ गए थे कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा रखना व्यर्थ है। इसके खिलाफ उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 तक राष्ट्र कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। इस आंदोलन में गांधी जी ने उन भारतीयों से आग्रह किया जो ब्रिटिश सरकार में अपनी सेवा दे रहे थे, और कहा कि वो अपने पदों को त्याग दें तथा हम सभी ब्रिटिश उत्पादों का इस्तेमाल करना बंद कर दें। इस आंदोलन में लाखों लोगों के जुड़ने से यह आंदोलन लगभग सफल रहा।
नमक सत्याग्रह आंदोलन
इस आंदोलन की शुरुआत 20 मार्च 1930 से, साबरमती आश्रम जो अहमदाबाद गुजरात में स्थित है से दांडी गांव तक हुई थी। यह एक 24 दिनों की पैदल यात्रा थी। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया था।
दलित आंदोलन
यह आंदोलन देश में फैले छुआछूत के विरोध में 8 मई 1933 में गांधी जी के नेतृत्व में किया गया था। इस आंदोलन के सफलता पूर्वक परिणाम के कारण लगभग पूरे देश में छूआछूत समाप्त हो गया।
भारत छोड़ो आंदोलन
महात्मा गांधी ने अगस्त 1942 में अंग्रेज़ों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की इस आंदोलन ने अंग्रेजों को भारत छोड़ कर जाने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ ही सामूहिक नागरिक आंदोलन करो या मरो की शुरुआत की गई इस आंदोलन के कारण ही देश में आज़ादी की नींव पड़ी।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। उन्होंने भारत की आजादी के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का कहना था कि “जीयो ऐसे जैसे कि तुम कल ही मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।” गांधी जी अपने इन सिद्धांतों पर निरंतर चलने वाले व्यक्ति थे। महात्मा गांधी के जन्म दिवस को भारत में ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ में भी “अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
आशा करते हैं की आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह महात्मा गाँधी पर निबंध (Mahatma Gandhi par Nibandh) पसंद आया होगा।
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