
Essay on Corruption in Hindi: आज हम आपके लिए लेकर आये हैं भ्रष्टाचार पर निबंध हिंदी में। इस निबंध में पढ़िये भ्रष्टाचार क्या है इसके कारण एवं परिणाम और रोकथाम के तरीके।
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प्रस्तावना
जिस प्रकार किसी हरे भरे पेड़ को दीमक उसे अंदर ही अंदर खोखला कर देता है, उसी प्रकार भ्रष्टाचार भी किसी राष्ट्र अथवा देश को अंदर ही अंदर खोखला बना देता है। भ्रष्टाचार केवल निजी जीवन को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि इसका दंश संपूर्ण राष्ट्र को झेलना पड़ता है। बाहरी शक्तियों से तो कोई भी लड़ सकता है, परंतु जब बीमारी शरीर के अंदर हो तो उसे खत्म करना बड़ा ही मुश्किल होता है। भ्रष्टाचार भी किसी राष्ट्र के लिए बीमारी के ही समान है।
भ्रष्टाचार का अर्थ
भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है, भ्रष्ट + आचार अर्थात एक ऐसी सोच या विचार जिसमे बेईमानी या केवल स्वयं का हित शामिल हो तो इस प्रकार के विचार पूर्ण कार्य को भ्रष्टाचार कहते हैं। नीति, न्याय, सत्य, निष्ठा, ईमानदारी आदि नैतिक और सात्त्विक वृत्तियों के विपरीत स्वार्थ, असत्य और बेईमानी से सम्बन्धित सभी कार्य भ्रष्टाचार कहलाते हैं।
भ्रष्टाचार के कारण
किसी भी व्यक्ति को भ्रष्टाचार कब अपनाना पड़ता है और क्यों वह भ्रष्टाचारी बन जाता है?—इसके अनेक कारण हैं। इस आधुनिक काल में व्यक्ति की आवश्यकताएँ अनंत हैं, जिनकी पूर्ति के लिए वह सदैव से ही प्रयत्न करता आया है।
यदि किसी आवश्यकता को पूर्ण करने में उचित माध्यम सफल नहीं होता है, तो वह अनुचित माध्यम से उसकी पूर्ति का सफल-असफल प्रयोग करता पाया जाता है। अपने प्रियजनों को लाभ पहुँचाने की इच्छा ने भी उचित-अनुचित साधनों का खुलकर प्रयोग करने को विवश कर दिया है। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भ्रष्टाचार दिखाई पड़ता है।
धन के प्रति आकर्षण
धन संपत्ति के प्रति आकर्षण भ्रष्टाचार के प्रमुख कारणों में से एक है। मनुष्य के इस स्वभाव ने आज आर्थिक क्षेत्र में काला बाजारी, मुनाफाखोरी, रिश्वतखोरी आदि को बढ़ावा दिया है। अनुचित तरीकों से धन-संग्रह किया जा रहा है। चाहें वो सरकारी कार्यालय हो या उद्योग का क्षेत्र हो अधिक से अधिक धन इकट्ठा करने की होड़ में सभी अपने अपने स्तर पर भ्रष्टाचार कर रहें हैं।
कभी-कभी जीवनयापन के पर्याप्त साधन न होने के कारण भी मनुष्य विवश होकर, धनोपार्जन के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करने लगता है।
कानून व्यवस्था का लचीलापन
यदि देश में कानून व्यवस्था में लचीलापन हो तो भ्रष्टाचारी व्यक्ति को ऐसा कानून सजा नहीं दे पाता और ये सब घटनाएं अन्य भ्रष्टाचारियों को भ्रष्टाचार करने के लिए और भी प्रेरित करती हैं। न्याय व्यवस्था में कमी होने से भ्रष्ट व्यक्तियों के मनोबल को बढ़ावा मिलता है।
शिक्षा व्यवस्था में कमी
पहले यह माना जाता था कि चोरी, बेईमानी, धोखाधड़ी यह सब अशिक्षित लोगों के व्यवहार हैं, परंतु आज कल उच्च से उच्च शिक्षा पाकर भी लोग भ्रष्टाचार से संलिप्त हैं तो इसका सीधा मतलब है कि कहीं न कही शिक्षा व्यवस्था में भी कमी है। यदि शुरू से ही विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाए तो भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है।
भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उपाय
यद्यपि भ्रष्टाचार को समूल नष्ट नहीं किया जा सकता, किंतु कम तो किया जा सकता है। जीवन मूल्यों को पहचानने का प्रयत्न करके उनके यथावत् पालन का दृढ़ संकल्प किया जाए। भ्रष्टाचार को मिटाने में धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं का सहयोग अवश्य लेना चाहिए।
सच्चे धार्मिक आचरण वाले व्यक्तियों का सम्मान किया जाना चाहिए, समाज सुधारक इस कार्य में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। नैतिक शिक्षा का विस्तार किया जाना चाहिए।
उपसंहार
कानून से भी भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है। कानून और व्यवस्था इस प्रकार स्थापित की जाए कि लोग उसके शिकंजे से बच न पाएँ। सर्वोत्तम उपाय तो भ्रष्ट लोगों की मनोवृत्ति को बदलना है।
उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह भ्रष्टाचार पर निबंध (bhrashtachar per nibandh) पसंद आया होगा। ऐसे ही और विषयों पर निबंध पढ़ने के लिए हमारी वेब साइट पर बने रहें।
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