
अगर आप भी Aatankwad Par Nibandh की तलाश कर रहे थे तो आप बिलकुल सही जगह पर आये हैं। यहाँ पर आपको मिलेगा बहुत ही सरल और संक्षिप्त शब्दों में आतंकवाद पर निबंध। जिसमें आपको पढ़ने को मिलेगा आतंकवाद क्या है , इसकी परिभाषा, आतंकवाद के कारण तथा इसके समाधान।
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प्रस्तावना
मानव-मन में विद्यमान भय प्रायः उसे निष्क्रिय और पलायन वादी बना देता है। इसी भय का सहारा लेकर समाज का व्यवस्था विरोधी वर्ग अपने दूषित और निम्नस्तरीय स्वार्थों की सिद्धि के लिए समाज में आतंक फैलाने का प्रयास करता है। स्वार्थ सिद्धि के लिए यह वर्ग हिंसात्मक साधनों का प्रयोग करने से भी नही चूकता। इसी स्थिति से आतंकवाद का उदय होता है।
आतंकवाद क्या है? / आतंकवाद की परिभाषा
आतंकवाद का अभिप्राय है वह अतिवादी विचारधारा, जो भय फैलाकर अपनी बात मनवाने का प्रयास करती है। भौतिकवादी युग ने सत्ता की भूख बढ़ा दी है। सत्ता न मिलने पर असंतोष फैलता है। इसकी अभिव्यक्ति होती है भय या आतंक फैलाकर मनचाही बात मनवाने या वस्तु हड़पने में उपेक्षित समुदाय भी आज अपना अस्तित्व प्रमाणित करने के लिए संगठित होकर आतंक फैलाने का मार्ग अपना रहे हैं।
आतंक का अर्थ है ‘भय’। जब कोई व्यक्ति या समूह हिंसा करके अपने स्वार्थ सिद्ध करता है तो वह आतंकवादी कहलाता है। इस प्रकार की अतिवादी हिंसक विचारधारा ‘आतंकवाद’ कहलाती है। जब किसी व्यक्ति द्वारा फैलाया गया भय सीमित क्षेत्र में होता है तो वह प्रायः गुंडागर्दी कहलाता है। परंतु जब यही भय पूरे के पूरे समूह या देश अथवा क्षेत्र में होता है, तब वह आतंकवाद कहा जाता है। इसके प्रभाव में आया क्षेत्र आतंकवाद से ग्रस्त क्षेत्र कहलाता है।
वैश्विक आतंकवाद
आतंकवादी गतिविधियाँ अब कुछ एक व्यक्तियों या राष्ट्रों तक सीमित नहीं रह गई है, वरन् पूरे विश्व में यह पैर पसार चुकी हैं। बड़े-छोटे सभी देश आतंकवाद की चपेट में है। अफ़गानिस्तान, सिरिया, फिलिस्तीन, पाकिस्तान, श्रीलंका और अमेरिका तथा यूरोप सब पर यह अपना प्रभाव दिखा चुका है। ओसामा बिन-लादेन ने अज्ञात स्थान में रहकर भी तालिवान विद्रोहियों की भारी फौज खड़ी कर दी थी । अमेरिका के ट्विन टावरों को पल भर में ध्वस्त कर देने का उसका आतंकी हमला आज भी विश्व की निगाह में ताजा है।
भारत में आतंकवादी गतिविधियों हेतु सहायता देनेवाला पाकिस्तान भी स्वयं को आतंकवाद की अग्नि से नहीं बचा पाया है। वर्ष 2007 में वहाँ आतंकवादियों ने बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी। पाकिस्तान के कबायली इलाको में तालिबान प्रायोजित आतंकवाद चरम पर है। अमेरिका बार-बार तालिबान विरोधी कार्यवाही करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाए हुए है।
इस प्रकार आतंकवाद किसी राष्ट्र-विशेष या क्षेत्र विशेष की समस्या नहीं है। यह एक प्रवृत्ति है, जो आज संपूर्ण मानव-समाज में फैल रही है। यदि समय रहते इस प्रवृत्ति का सम्पूर्ण नाश नहीं किया गया तो पृथ्वी का कोई भी क्षेत्र मानव-जीवन को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ रहेगा।
आतंकवाद के कारण
आतंकवाद तथा आतंकवादी गतिविधियों के उत्पन्न होने के अनेक कारक हैं। इनमें से प्रमुख हैं- आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, प्रशासनिक, कानून तथा न्याय व्यवस्था में कमी आदि।
आर्थिक कारण
आर्थिक समस्याएँ केवल व्यक्ति की आर्थिक ही नहीं अपितु उसकी मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करती हैं। सम्पत्ति का असमान वितरण होने के कारण आतंकवादी इसे प्रमुख मुद्दा बना लेते हैं।
सामाजिक-सांस्कृतिक कारण
सांस्कृतिक परिवर्तन के अनुपात में सामाजिक जीवन में भी परिवर्तन आता है। यदि सामाजिक जीवन में अधिक तेजी से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों का लाभ समाज में किसी एक ही वर्ग को प्राप्त होता है। तो इससे समाज के दूसरे वर्ग अविकसित रह जाते हैं, और ये अविकसित वर्ग अज्ञानता पूर्वक आतंकवाद के मार्ग को अपना लेते हैं।
नवयुवक वर्ग में बेरोजगारी तथा असंतोष
बेरोजगारी ने नवयुवकों को आतंकवाद की ओर आकर्षित करने का कार्य किया है। जब शिक्षित नवयुवक को यह अनुभव होता है कि योग्यता के बावजूद भी नौकरी प्राप्त कर लेना उसके लिए कठिन कार्य है। इसके विपरीत तस्कर तथा मादक पदार्थों के व्यापारी सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं, तो वे इन कार्यों की ओर आकर्षित होते हैं।
कानून तथा न्याय व्यवस्था की कमियाँ
वर्तमान कानून व्यवस्था अत्यधिक जटिल एवं न्याय व्यवस्था अत्यधिक विलम्बकारी है। साधन सम्पन्न अपराधी के लिए कानून तथा न्याय की शिकायतों से मुक्ति पा लेना बहुत आसान है। यह स्थिति उग्र स्वभाव वाले असंतुष्ट नवयुवकों को आतंकवाद का मार्ग अपनाने से नहीं रोक पाती।
आतंकवाद का समाधान
आतंकवाद का स्वरूप या उद्देश्य कोई भी हो, इसका भौगोलिक क्षेत्र कितना ही सीमित या विस्तृत क्यों न हो, किंतु यह तो स्पष्ट ही है कि इसने हमारे जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है। आतंकवाद मानव-जाति के लिए कलंक है। इसलिए इसका कठोरता से दमन किया जाना चाहिए। आतंकवाद से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किए जाने चाहिए। अनेक देशों के राजनेताओं ने आतंकवाद की खुले मन से बुराई की है। आवश्यकता इस बात की है कि सभी देश एकमत से आतंकवाद को समाप्त करने का दृढ़ संकल्प लें। विश्व की सभी सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के विरुद्ध पारस्परिक सहयोग करना चाहिए, जिससे कोई भी आतंकवादी गुट किसी दूसरे देश में शरण या प्रशिक्षण न पा सके।
उपसंहार
किसी देश के नागरिकों के लिए हिंसा की सत्ता को स्वीकारना आतंकवाद को जन्म देने की पहली स्थिति है। आतंकवाद का भयानक रूप केवल कुछ लोगों या क्षेत्र विशेष के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरा है। आतंकवादी गतिविधियों ने पूरे विश्व में अशांति और असंतोष को उत्पन्न किया है। भारत के विभिन्न भागों में हो रही आतंकवादी गतिविधियों ने देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए संकट उत्पन्न कर दिया है। आतंकवाद का संपूर्ण नाश ही इस समस्या का समाधान है।
आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह आतंकवाद पर निबंध (Aatankwad Par Nibandh) पसंद आया होगा। ऐसे ही और भी निबंध पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर बने रहें।
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